Pitru Paksha 2024 | पितृ पक्ष (Pitru Paksha) हिन्दू धर्म में पितरों को समर्पित एक पवित्र समय है, जिसमें श्राद्ध कर्म और तर्पण के माध्यम से पूर्वजों को सम्मानित किया जाता है। पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद माह के पूर्णिमा से होता है और आश्विन मास के अमावस्या तक चलता है। यह समय उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना करते हैं।
Pitru Paksha 2024 Dates – सभी तिथियों की सूची (हिंदी और अंग्रेजी में)
Pitru Paksha 2024 Dates | पितृ पक्ष 2024 की शुरुआत 29 सितंबर 2024 से होगी और यह 14 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगा। हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है और उस तिथि को संबंधित पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है। यहां पितृ पक्ष 2024 की सभी तिथियों और समय की सूची दी गई है:
तिथि (हिंदी) | तिथि (अंग्रेजी) | श्राद्ध की तिथि |
---|---|---|
पूर्णिमा श्राद्ध | 29 सितंबर 2024, रविवार | पूर्णिमा तिथि |
प्रतिपदा श्राद्ध | 30 सितंबर 2024, सोमवार | प्रतिपदा तिथि |
द्वितीया श्राद्ध | 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार | द्वितीया तिथि |
तृतीया श्राद्ध | 2 अक्टूबर 2024, बुधवार | तृतीया तिथि |
चतुर्थी श्राद्ध | 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार | चतुर्थी तिथि |
पंचमी श्राद्ध | 4 अक्टूबर 2024, शुक्रवार | पंचमी तिथि |
षष्ठी श्राद्ध | 5 अक्टूबर 2024, शनिवार | षष्ठी तिथि |
सप्तमी श्राद्ध | 6 अक्टूबर 2024, रविवार | सप्तमी तिथि |
अष्टमी श्राद्ध | 7 अक्टूबर 2024, सोमवार | अष्टमी तिथि |
नवमी श्राद्ध | 8 अक्टूबर 2024, मंगलवार | नवमी तिथि |
दशमी श्राद्ध | 9 अक्टूबर 2024, बुधवार | दशमी तिथि |
एकादशी श्राद्ध | 10 अक्टूबर 2024, गुरुवार | एकादशी तिथि |
द्वादशी श्राद्ध | 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार | द्वादशी तिथि |
त्रयोदशी श्राद्ध | 12 अक्टूबर 2024, शनिवार | त्रयोदशी तिथि |
चतुर्दशी श्राद्ध | 13 अक्टूबर 2024, रविवार | चतुर्दशी तिथि |
अमावस्या श्राद्ध | 14 अक्टूबर 2024, सोमवार | अमावस्या तिथि |
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Pitru Paksha 2024 – पितृ पक्ष के अनुष्ठान
Pitru Paksha 2024| पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान मुख्य अनुष्ठान होते हैं। इन अनुष्ठानों के माध्यम से, लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। श्राद्ध कर्म में तीन प्रमुख भाग होते हैं:
- तर्पण: यह क्रिया गंगाजल या पवित्र जल का उपयोग करके की जाती है, जिसे सूर्य देव और पितरों को समर्पित किया जाता है।
- पिंडदान: पितरों को अर्पित किए जाने वाले पिंड (चावल के गोले) से उन्हें शांति और मुक्ति प्रदान करने का उद्देश्य होता है।
- श्राद्ध भोज: श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर पुण्य प्राप्त किया जाता है, जिसे पितरों का आशीर्वाद माना जाता है।
FAQs – Pitru Paksha 2024
श्राद्ध कब से शुरू है 2024 list?
Pitru Paksha 2024 का श्राद्ध 29 सितंबर 2024 से शुरू होगा और यह 14 अक्टूबर 2024 को अमावस्या तिथि के साथ समाप्त होगा। इस अवधि में विभिन्न तिथियों पर श्राद्ध किया जाता है।
श्राद्ध की तिथि कैसे निकाले 2024 में?
श्राद्ध की तिथि को उस पितर की मृत्यु की तिथि के आधार पर निकाला जाता है। यदि किसी को पितर की सही मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, तो पितृ पक्ष की अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है, जो 2024 में 14 अक्टूबर को है।
पितृ अमावस्या कब है 2024 में?
पिंड दान कब करना चाहिए Pitru Paksha 2024 में?
पिंड दान पितृ पक्ष की प्रत्येक तिथि पर किया जा सकता है, लेकिन सबसे शुभ समय अमावस्या (14 अक्टूबर 2024) होता है। यदि आप गया में पिंड दान करना चाहते हैं, तो यह अमावस्या या उससे पहले किसी भी समय किया जा सकता है।
गया में पिंड दान जाने में कितना खर्चा आता है?
गया में पिंड दान के लिए खर्चा व्यक्ति की यात्रा की योजना और रहने की सुविधाओं पर निर्भर करता है। सामान्यतः, यात्रा, रहने और पिंड दान कर्मकांड का कुल खर्च 5000 रुपये से लेकर 15,000 रुपये या उससे अधिक हो सकता है। स्थानीय पुजारी या गाइड से सहायता लेकर आप अपनी योजना को सुविधानुसार बना सकते हैं।
कितने पिंड दान करने चाहिए?
सामान्यतः पिंड दान के लिए तीन या पांच पिंड बनाए जाते हैं। यह संख्या पूर्वजों की आत्मा के लिए शांति और मोक्ष की प्रार्थना का प्रतीक होती है। गया में पिंड दान के दौरान पुजारी आपको इसके लिए सही विधि और संख्या के बारे में मार्गदर्शन कर सकते हैं।
मृत्यु के कितने वर्ष बाद श्राद्ध करना चाहिए?
मृत्यु के तुरंत बाद प्रेत कर्म किया जाता है, और उसके बाद हर वर्ष पितृ पक्ष में श्राद्ध करना आवश्यक होता है। मृत्यु के एक वर्ष बाद पहला श्राद्ध अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे “वार्षिक श्राद्ध” कहते हैं।
पितरों को पानी कौन दे सकता है?
पितरों को पानी परिवार का कोई भी सदस्य दे सकता है। आमतौर पर यह कर्तव्य परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा किया जाता है, लेकिन यदि कोई पुरुष सदस्य उपलब्ध न हो तो महिलाएं भी इसे कर सकती हैं।
क्या दामाद पिंड दान कर सकते हैं?
हां, दामाद भी पिंड दान कर सकते हैं, लेकिन यह परिवार की परंपरा और मान्यताओं पर निर्भर करता है। यदि घर के अन्य पुरुष सदस्य उपलब्ध न हों, तो दामाद पिंड दान करने का कर्तव्य निभा सकते हैं।
पितृ पक्ष कब नहीं करना चाहिए?
पितृ पक्ष में अशुभ तिथियों और अमंगलकारी समय में श्राद्ध या तर्पण नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार का पवित्र कार्य, जैसे विवाह या नया घर लेना, इस समय में वर्जित माना जाता है। इसके अलावा, ग्रहण या अमंगलकारी योग में श्राद्ध करने से बचना चाहिए।
पितृ पक्ष में क्या किया जाता है?
पितृ पक्ष में मुख्य रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। लोग ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं और गायों को भी अन्न देते हैं। यह कर्म पूर्वजों के आशीर्वाद और उनके प्रति श्रद्धा को दर्शाता है।
पितृपक्ष का मतलब क्या होता है?
पितृपक्ष का शाब्दिक अर्थ है ‘पितरों का समय’। यह वह समय होता है जब पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं और अपने परिजनों से तर्पण और श्राद्ध की अपेक्षा करती हैं। इस अवधि में किए गए कर्म पितरों को शांति और मोक्ष प्रदान करते हैं।
पितृ पक्ष में शारीरिक संबंध बनाने से क्या होता है?
धार्मिक दृष्टिकोण से पितृ पक्ष के दौरान शारीरिक संबंध बनाना वर्जित माना गया है। इसे अपवित्र कार्य माना जाता है और इस दौरान संयम और साधना पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है।
पितरों को जल देते समय क्या बोलना चाहिए?
पितरों को जल अर्पित करते समय, आप निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं:
“ॐ पितृ देवताभ्यो नमः”
यह मंत्र पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद की कामना करता है।
पितरों में कौन-कौन आते हैं?
पितरों में परिवार के वे सभी सदस्य आते हैं, जो इस संसार से विदा हो चुके हैं। इनमें माता, पिता, दादा-दादी, परदादा-परदादी और अन्य पूर्वज शामिल होते हैं।
पितृ पक्ष का पालन हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा का प्रतीक है। सही तरीके से किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Pitru Paksha 2024 आपके पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक महत्वपूर्ण समय है, जो परिवार की शांति और समृद्धि के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। इस दौरान किए गए श्राद्ध और पिंडदान न केवल आपके पूर्वजों को संतुष्ट करते हैं, बल्कि उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। यदि आप इस पितृ पक्ष के दौरान सही विधि से अनुष्ठान करना चाहते हैं, तो हमारे विस्तृत मार्गदर्शक को पढ़ें और अपनी तैयारी सुनिश्चित करें। अधिक जानकारी के लिए हमारे अन्य लेखों को ज़रूर पढ़ें और श्राद्ध से जुड़ी हर जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर अपडेट्स प्राप्त करते रहें!